पाकिस्तान बना चाइना का खिलौना

 चीनी विदेश मंत्री सुबह 4 बजे तक देखते रहे सैन्य टकराव: पाकिस्तान के साथ पिछले एक हप्ते के सैन्य टकराव के दौरान भारत ने केवल पाकिस्तान की ही कमर नहीं तोड़ी, बल्कि चीनी हथियारों को भी नेस्तनाबुत कर बीजिंग को भी सन्देश दे दिया । इस युद्ध के दौरान यह बात साफ हो गई की पाकिस्तान पूरी तरह चाइना के हाथो की कटपुतली बन के रह गया है ।

पाकिस्तान के उपप्रधान मंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार ने पाकिस्तानी संसद में स्वीकार किया की उन्होंने भारत के साथ सैन्य संघर्ष मै चीनी हथियारों के इस्तमाल के बारे में चीनी नेतृत्व को हर पल की जानकारी दी । डार ने यह भी स्वीकार किया की चीन के राजदूत जियांग जैदोंग भी उनके साथ सुबह 4 बजे तक यह देख रहे थे की कैसे हमने चीनी हथियारों से भारत का सामना किया । लेकिन चीनी हथियार भारत के स्वदेशी परकार्म के आगे टिक नहीं सके ।

इतना ही नहीं, जाँच में पता चलता है की भारत पाकिस्तान के टकराव के दौरान चीन अपने हथियारों की क्षमताओं के बारे में रिअल टाइम इंटलीजेंस डाटा जुटा रहा । पाकिस्तान ने भारतीय हमले का सामना करने के लिए चाइना द्वारा बने गई जे-10सी लड़ाकू जेट पीएल-15 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलो का इस्तेमाल किया। चीन इस दौरान अपने हथियारों के प्रदर्शन पर निरंतर नजर बनाये रख रहा । पाकिस्तान भले ही यह स्वीकार नहीं करे, लेकिन मिडिया रिपोर्ट्स और युद्ध परिणाम से साफ है कि चीनी हथियारों को पस्त होता देख मुनीर की सेना ने हथियार डाल दिए ।

इतना ही नहीं  ऐसे साक्ष्य भी है जो यह बताते हे की इस युद्ध में चीन अपने जासूसी सेटेंलाईट के जरिए भी भारत पर नजर रखे था और पाकिस्तान की मदद कर रहा था । ओपन सौर्स इंटेलिजेंस प्लेटफोर्म ‘वॉर एंड गोर’ के अनुसार, शुक्रवार को जेसलमेर, अखनूर,जम्मू,उधमपुर और पंजाब के पठानकोट जैसे शहरो में पाकिस्तान द्वारा ड्रोन हमलो की नई लहर शुरू किये जाने के दौरान एक चाइनीज ऑफ़टिकल इमेंजिंग सैटेलाईट राजस्थान के ऊपर से होकर गुजरा । प्लेटफार्म ने यह भी संकेत दिया की पाकिस्तान भारत की और ड्रोन लांच करते समय नागरिक एयरलाइनो को ढाल के रूप में इस्तेमाल कर रहा था ।

    चीन की इस युद्ध में रूचि का एक कारण चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा यानि सीपेक भी । यह चाइना की महत्व कांक्षी योजना बेल्ट एंड रोड इनीशीएटीव का हिस्सा है । ग्वादर बंदरगाह को चीन के काशगर से जोड़ने वाली यह परीयोजना पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है ,जिसे भारत अपनी संप्रभुता का उलंघन मानता है । इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य ग्वादर बंदरगाह (पाकिस्तान) से काशगर (चीन) तक एक बुनियादी ढांचा नेटवर्क बनाना तथा इस इलाके में चाइना के कारोबारी और रणनीतिक हितों को बढावा है । इसलिए चीन ने इस परियोजना में भारी निवेश के साथ पाकिस्तान को भी कर्ज के जाल मे फंसा दिया है । इसके चलते पाकिस्तान एक तरह से चीन की कठपुतली बन कर रह गया है । एसी स्थिति में युद्ध बढने की हालात में भारत-चीन के बिच टकराव तय माना जा रहा था।

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