पुलवामा से पहलगाव तक भारत के खिलाफ आतंकी हमलो की साजिश रचने वाले पाक आर्मी चीफ आसिम मुनीर को पाकिस्तान का भाग्य विधाता होने का गुमान नया नहीं है। क्योंकि समय के पहले मिले प्रमुख पदों को उसने नियति समझ लिया । मसलन पिछले पाक सेना अध्यक्ष कमर जावेद बाजवा की सेवानिवर्ती से दो दिन पहले रिटायर होने वाले आसिम मुनीर को एक नाटकीय घटना क्रम में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने सेना प्रमुख बना दिया ।
इससे पहले भी भाग्य ने मुनीर को उच्च पद दिलवाए । 2019 के पुलवामा हमले के वक्त यह आइएसआई प्रमुख था । इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हुए थे । आठ महीने बाद ही गुजरांवाला में कोर कमांडर के रूप में नियुक्ति दे दी गई, जो मुनीर के करियर की बड़ी उपलब्धि थी । बस, इन्ही अवसरों ने मुनीर के दिमाग में गलतफहमी के बिज बो दिया । चूँकि वह मजहब के प्रति आस्था के साथ कट्टर सोच भी रखता है इसलिए मान लिया की नियति ने कुछ सोच कर ही उसे प्रमुख के पद पर बैठाया है । कश्मीर के प्रति उसकी दुर्भावना भी उसकी ईसी सोच का नतीजा है । मुनीर ने पाकिस्तान में उसके सामने आ रही राजनैतिक चुनोतिओं को दूर करना शुरू कर दिया । उसने पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पत्नी बुशरा को गंभीर आरोप लगाकर जेल में बंद कर दिया । लोकप्रिय हो रही इमरान खान की पार्टी तहरीके इंसाफ को चुनाव लड़ने से रोक दिया । रातों रात तख्तापलट कर कई संसोधन पारित करवाकर सभी संभावित चुनोतियो को ख़त्म कर दिया संविधान को लगभग बदल ही दिया । सेनाध्यक्ष का कार्यकाल तिन साल से बढाकर 5 साल कर दिया इससे यह साफ हो गया की वह 2027 तक ड्राइवर सिट पर रहेगा । इन कड़ीयो को जोड़ा जाये तो पहलगाँव हमले तक तार जुड़ते साफ नजर आते है ।
हमले से छह दिन पहले कश्मीर को गले की नस कहने वाले मुनीर को कश्मीर में सामान्य होते हालात की पीड़ा है । शांतिपूर्ण चुनाव और सैलानियों की बढती तादाद से मजबूत होती घाटी की आर्थिक स्थिति भी मुनीर के मन की परेशानी की वजह बन गई मुनीर ने खुद 16 अप्रैल के भाषण में कहा था,भाग्य ने मेरे लिए कुछ सोचा होगा। इसी भाषण में कश्मीर के लिए उसकी सजिसों का पता चलता है । कश्मीर में पिछले वर्ष करीब 30 लाख पर्यटक कश्मीर घुमने आये, जो पाकिस्तान और मुनीर की आँखों में खटक रहा है ।
16 अप्रैल को मुनीर के भड़काऊ भाषण में कश्मीर की सामान्य स्थिति को पलटने के संकेत साफ थे । पहलगांव की साजिश, भाषण और नरसंहार के बिच के हप्ते में नहीं बनाई गई, बल्कि इसके लिए कई हप्तो या महीने लग गए होंगे । इसके लिए जगह समय और कर्मचारियों का चयन, अधिकतम प्रभावशीलता, भागने के रास्ते और कवर आदि की तय्यारियों के लिए समय आदि लगा होगा ।
साजिश या संयोग एक मिडिया रिपोर्ट उन बातों का जिक्र है, जिनसे पहलगांव हमले के तार जुड़ते है । अमेरिका की एक शीर्ष अन्तरिक्ष कंपनी मैक्सार टेक्नोलोजिज को पहलगांव और आसपास के इलाको की हाई-रिजाल्युशन सैटेलाईट तस्वीरों के लिए बड़े स्तर पर ऑर्डर मिले सिर्फ 2 से 22 फरवरी 2025 के बिच मैकसार को 12 आर्डर दिए गए। जो सामान्य से दोगुने है । एक छोटी पाकिस्तानी कंपनी बीएसआई मैक्सार की भागीदार बन गई । सूत्रों के मुताबिक इसमें मुनीर का दिमाग था, क्योंकि उसके मन में कश्मीर तक पहली सीधी रेलगाड़ी सेवा को हर हाल में रोकने के मनसूबे बने हुये थे। भले ही इसके लिए युद्ध में ही क्यों ना जाना पड़े ?